ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य
धीमहि धियो योँ
नः प्रचोदयात्।
सुप्रभात सुमङ्गलम जय गुरुदेव
सबके लिए सद्बुद्धि
- सबके लिए उज्जवल
भविष्य
हमारा युग निर्माण
सत्संकल्प - 2
शरीर को भगवान
का मन्दिर समझकर
आत्मसंयम और
नियमितता द्वारा आरोग्य की
रच्छा करेंगे।
महाकाल का अपने
अंग अवयवों को
महान मार्ग दर्शन
सुंदर बनने के
लिए बाहरी साधन
जरुरी
नहीं हैं। इस
भ्रान्त धारणा को कि
अधिक बनाव -
श्रृंगार करेंगे तो अधिक
लोग आकर्षित होंगे
-- यह बात अपने
मष्तिष्क से निकालकर
अंतःकरण के सौंदर्य
को खोजने का
प्रयत्न
कीजिये। आपकी प्रसन्नता
में , आपके
सुखद विचारों में सुन्दरता
भरी हुई है।
उसे जाग्रत
कीजिये। सच्चा सौंदर्य मनुष्य
के सदगुणों में
है।
युगदृष्टा
, युगसृष्टा , युगऋषि , वेदमूर्ति , तपोनिष्ठ
श्रीराम
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